जादुई तालाब की कहानी | Hindi Kahaniyan | Moral Stories | Jadui kahani
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जादुई तालाब
बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव के किनारे एक विशाल जंगल फैला हुआ था। इस जंगल में हर तरह के पेड़-पौधे, जानवर, और पक्षियों की भरमार थी। गाँव के लोग अक्सर जंगल में जाते थे, वहाँ की ताज़ी हवा में सांस लेने और पेड़ों की छांव में आराम करने के लिए। लेकिन जंगल के सबसे गहरे हिस्से में, एक तालाब था, जिसे लोग 'जादुई तालाब' के नाम से जानते थे। हालाँकि, इस तालाब के बारे में कोई भी खुलकर बात नहीं करता था। लोग कहते थे कि जो इस तालाब के पास जाता है, उसके जीवन में कुछ न कुछ असाधारण घटित हो जाता है।
गाँव में एक लड़का था, जिसका नाम अर्जुन था। अर्जुन को हमेशा से रोमांचक कहानियाँ सुनने और अद्भुत जगहों की खोज करने में दिलचस्पी थी। उसने अपने दादा-दादी से कई बार जादुई तालाब के बारे में सुना था, लेकिन उसे कभी भी यह समझ में नहीं आया कि लोग उस तालाब से डरते क्यों थे। "क्या एक तालाब सच में जादुई हो सकता है?" वह अक्सर खुद से यह सवाल पूछता था।
बचपन का जादू
अर्जुन के बचपन की सबसे पहली याद उसकी माँ की गोद में बैठकर कहानियाँ सुनने की थी। उसकी माँ उसे हर रात कहानियाँ सुनाया करती थी—कभी परियों की, कभी राजाओं की, और कभी जादूगरों की। लेकिन एक कहानी, जो उसकी माँ ने कभी पूरी नहीं की, वह थी 'जादुई तालाब' की कहानी। "तुम बड़े हो जाओगे, तब तुम्हें इस कहानी का अंत मालूम पड़ेगा," उसकी माँ ने एक दिन कहा था। लेकिन यह बात अर्जुन के मन में बैठ गई थी।
समय बीतता गया, और अर्जुन बड़ा हो गया। उसकी जिज्ञासा जादुई तालाब को लेकर बढ़ती गई। उसने गाँव के कई बुजुर्गों से इसके बारे में पूछा, लेकिन हर कोई इसे टाल जाता था। किसी ने कहा कि तालाब में कुछ अनदेखी शक्तियाँ रहती हैं, तो किसी ने बताया कि वहाँ पर आत्माएँ वास करती हैं। अर्जुन ने भी सुना था कि कई लोग वहाँ गए और फिर कभी वापस नहीं लौटे। ये सब बातें उसे और भी ज्यादा आकर्षित करने लगीं।
जंगल की ओर
एक दिन, अर्जुन ने ठान लिया कि वह खुद जादुई तालाब की सच्चाई का पता लगाएगा। एक शांत सुबह, जब सूरज अभी-अभी उगा था, अर्जुन ने अपने पिता से झूठ बोला कि वह जंगल में लकड़ियाँ काटने जा रहा है। उसने एक छोटी सी थैली में खाना रखा, अपने साथ एक कुल्हाड़ी ली और जंगल की ओर चल पड़ा।
जंगल में दाखिल होते ही अर्जुन को कुछ अलग महसूस हुआ। पेड़ों की पत्तियाँ जैसे उसकी फुसफुसाहट सुन रही हों, और हवा में एक रहस्यमयी सुगंध तैर रही थी। जितना वह अंदर जाता, उतना ही जंगल घना और रहस्यमयी होता जाता। लेकिन अर्जुन की नज़र में सिर्फ एक ही लक्ष्य था—जादुई तालाब।
कई घंटे बीत चुके थे, और अर्जुन को कहीं भी तालाब नजर नहीं आ रहा था। वह थक चुका था, लेकिन उसकी जिज्ञासा उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रही थी। जंगल में चिड़ियों की आवाज़ अब दूर होती जा रही थी, और चारों ओर सिर्फ सन्नाटा था।
तालाब की खोज
अर्जुन ने लगभग हार मान ली थी, जब अचानक उसे पेड़ों के बीच से हल्की-सी चमक दिखाई दी। उसने धीरे-धीरे उस दिशा में कदम बढ़ाया, और कुछ ही देर में वह एक विशाल तालाब के किनारे खड़ा था। यह वही जादुई तालाब था, जिसके बारे में उसने कहानियाँ सुनी थीं।
तालाब का पानी बिल्कुल साफ और चमकदार था, जैसे कि उसमें हजारों सितारे झिलमिला रहे हों। अर्जुन ने कभी ऐसा तालाब नहीं देखा था। तालाब के चारों ओर बड़े-बड़े पेड़ थे, जिनकी शाखाएँ तालाब के ऊपर झुकी हुई थीं। चारों ओर एक रहस्यमयी शांति थी, जैसे यह तालाब खुद में एक गहरा रहस्य छुपाए हो।
अर्जुन तालाब के किनारे बैठ गया और उसकी तरफ ध्यान से देखने लगा। तभी उसे तालाब के पानी में कुछ हलचल महसूस हुई। उसने ध्यान से देखा, तो उसे ऐसा लगा कि पानी के अंदर कुछ छिपा हुआ है। उसकी धड़कनें तेज हो गईं, लेकिन डर की जगह उसके मन में उत्सुकता थी।
जादू की शुरुआत
अर्जुन ने जैसे ही तालाब के पानी को छुआ, उसे एक अजीब-सी गर्माहट महसूस हुई। पानी के अंदर से एक हल्की सी रोशनी निकली, जो धीरे-धीरे बढ़ने लगी। अर्जुन हैरान था। वह जल्दी से पीछे हट गया, लेकिन उसकी आँखें उस रोशनी पर जमी रहीं।
कुछ ही पलों में, उस रोशनी के बीच से एक आकृति उभरी। यह एक अद्भुत, सुनहरी मछली थी, जिसकी आँखों में गहराई और रहस्य था। मछली ने अर्जुन को देखा और बोली, "तुम यहाँ क्यों आए हो, बालक?"
अर्जुन चौंक गया। उसने कभी सोचा भी नहीं था कि मछली उससे बात करेगी। लेकिन वह डरने की बजाय और भी अधिक जिज्ञासु हो गया। "मैं जादुई तालाब के रहस्य को जानने आया हूँ," अर्जुन ने साहसपूर्वक कहा।
मछली हँसी, "यह तालाब सच में जादुई है, लेकिन इसका जादू हर किसी के लिए नहीं है। जो भी यहाँ आता है, उसे अपने दिल की सबसे बड़ी चाहत पूरी करने का मौका मिलता है। लेकिन इसके साथ एक शर्त भी है।"
अर्जुन ने शर्त के बारे में पूछा। मछली ने समझाया, "जो भी यहाँ से अपनी चाहत लेकर जाता है, उसे बदले में अपनी सबसे कीमती चीज़ छोड़नी पड़ती है। सोच लो, क्या तुम तैयार हो?"
दिल की चाहत
अर्जुन सोच में पड़ गया। उसकी सबसे बड़ी चाहत थी, अपने गाँव के लोगों को खुश देखना। गाँव में अक्सर सुख-समृद्धि की कमी रहती थी, लोग तंगी में जीवन बिता रहे थे। अगर वह इस तालाब से कोई वरदान मांगता, तो वह यही चाहता कि उसके गाँव में खुशहाली आ जाए।
"मैं चाहता हूँ कि मेरे गाँव में कभी कोई दुखी न रहे, वहाँ हमेशा समृद्धि और खुशहाली रहे," अर्जुन ने कहा।
मछली ने सिर हिलाया, "तुम्हारी चाहत बहुत महान है। लेकिन याद रखना, इसके बदले में तुम्हें अपनी सबसे कीमती चीज़ छोड़नी होगी।"
अर्जुन ने सोचा, उसकी सबसे कीमती चीज़ क्या थी? वह अपनी माँ से बहुत प्यार करता था, और शायद उसकी माँ का प्यार ही उसकी सबसे कीमती संपत्ति थी। लेकिन वह जानता था कि अगर वह गाँव के लोगों के लिए कुछ कर सकता है, तो वह अपनी इस सबसे कीमती चीज़ को छोड़ने के लिए तैयार था।
मछली का आशीर्वाद
मछली ने पानी के ऊपर एक छोटा-सा बुलबुला बनाया, और उस बुलबुले में अर्जुन को अपने गाँव का भविष्य दिखाया। उसने देखा कि उसके गाँव में लोग खुशहाल हैं, उनके घर भरे-पूरे हैं, खेतों में फसल लहलहा रही है, और चारों तरफ खुशहाली छाई हुई है। अर्जुन की आँखों में खुशी के आँसू आ गए। उसने मछली से कहा, "मैं तैयार हूँ।"
मछली ने फिर से पानी की ओर देखा, और उसके इशारे पर तालाब का पानी हिलने लगा। अचानक, अर्जुन को अपनी माँ की याद आई। उसकी माँ का चेहरा उसके सामने आया, और उसे लगा जैसे वह उसे बुला रही हो। लेकिन अर्जुन ने खुद को समझाया कि यह सब उसके गाँव के लिए है।
अंतिम निर्णय
अर्जुन की आँखों में पानी उतर आया था, लेकिन उसने अपने मन को दृढ़ रखा। वह जानता था कि उसकी इच्छा पूरी हो चुकी है, और इसके बदले उसे अपनी सबसे कीमती चीज़, अपनी माँ का प्यार, छोड़ना होगा। उसकी माँ का चेहरा उसकी आँखों के सामने बार-बार आ रहा था, लेकिन उसके मन में यह संतोष था कि वह अपने गाँव के लिए एक महान बलिदान दे रहा है।
मछली ने एक हल्की मुस्कान के साथ कहा, “तुमने बहुत साहस दिखाया है, बालक। बहुत कम लोग इतने बड़े त्याग के लिए तैयार होते हैं। अब जाओ, तुम्हारा गाँव खुशहाल होगा, और तुम्हारी इच्छा पूरी होगी।”
अर्जुन ने मछली की बात सुनी और धीरे-धीरे तालाब से वापस मुड़ने लगा। उसके कदम भारी थे, मानो उसका दिल उसे रोक रहा हो, लेकिन उसकी आत्मा उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रही थी। उसने तालाब की ओर आखिरी बार देखा और धीरे-धीरे जंगल के रास्ते पर वापस चल पड़ा।
गाँव की वापसी
जंगल के रास्ते में चलते समय, अर्जुन के मन में कई भावनाएँ उमड़ रही थीं। उसने अपनी माँ का प्यार खो दिया था, लेकिन उसके दिल में गाँव के लिए खुशी थी। जब वह गाँव के पास पहुँचा, तो उसे कुछ अलग महसूस हुआ। हवा में ताजगी थी, खेतों में फसलें लहलहा रही थीं, और लोगों के चेहरों पर मुस्कानें थीं।
गाँव में दाखिल होते ही अर्जुन ने देखा कि लोग खुश हैं, बच्चे खेल रहे हैं, और किसी को भी दुख या तकलीफ का अनुभव नहीं हो रहा था। यह वही दृश्य था जो उसने तालाब के बुलबुले में देखा था। उसका दिल गर्व से भर गया। वह जानता था कि उसने सही निर्णय लिया है।
लेकिन जैसे ही वह अपने घर पहुँचा, उसका दिल थोड़ा भारी हो गया। उसकी माँ उसे देखकर हँसी, लेकिन उसकी आँखों में वह पुरानी चमक नहीं थी। अर्जुन ने महसूस किया कि उसकी माँ का प्यार अब वैसा नहीं रहा था जैसा पहले था। वह उसे देख रही थी, लेकिन जैसे किसी अजनबी को देख रही हो। उसकी माँ ने उसे भोजन पर बुलाया, लेकिन वह पुरानी आत्मीयता और स्नेह अब नहीं था।
अर्जुन को समझ आ गया था कि यही वह कीमत थी जिसे उसने चुकाया था। उसकी माँ अब उसे उतना प्यार नहीं करती थी जितना वह पहले करती थी। लेकिन उसने खुद को सांत्वना दी कि उसने अपने गाँव के लिए यह बलिदान किया है, और यह बलिदान उसके लिए महत्वपूर्ण था।
नई शुरुआत
दिन बीतते गए, और अर्जुन का जीवन बदल गया। अब उसका गाँव समृद्ध था, और लोग हमेशा खुश रहते थे। अर्जुन ने भी अपने जीवन को उसी तरह जीने की कोशिश की, जैसे वह पहले जीता था, लेकिन उसकी माँ का प्यार न होना उसे अंदर से कहीं न कहीं उदास कर देता था।
एक दिन, अर्जुन ने ठान लिया कि वह फिर से जादुई तालाब जाएगा। वह जानता था कि मछली ने कहा था कि उसे अपनी सबसे कीमती चीज़ छोड़नी होगी, लेकिन उसके मन में एक उम्मीद थी कि शायद तालाब में कोई और जादू हो, जो उसकी माँ का प्यार वापस ला सके।
जादुई तालाब की ओर वापसी
अर्जुन ने फिर से वही रास्ता लिया, जिसे उसने पहले लिया था। जंगल में प्रवेश करते ही उसे महसूस हुआ कि इस बार जंगल की हवा में कुछ बदलाव था। पेड़ पहले की तरह घने थे, लेकिन अब उनमें से कोई रहस्यमयी आवाज़ नहीं आ रही थी। अर्जुन ने अपने कदम तेज़ किए और जल्दी से जादुई तालाब के पास पहुँच गया।
तालाब अब भी वैसा ही था, चमकता हुआ और रहस्यमयी। लेकिन इस बार तालाब के पानी में कोई हलचल नहीं थी। अर्जुन ने तालाब के किनारे बैठकर मछली को बुलाया, "ओह, जादुई मछली! क्या तुम मेरी आवाज़ सुन सकती हो? क्या तुम मेरी मदद करोगी?"
कुछ देर तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, लेकिन फिर अचानक तालाब के बीच से हल्की रोशनी उभरने लगी। वही सुनहरी मछली फिर से प्रकट हुई, लेकिन इस बार उसकी आँखों में एक अजीब सी गहराई थी।
मछली ने अर्जुन की ओर देखा और कहा, "तुम फिर से यहाँ क्यों आए हो? क्या तुमने अपनी इच्छा पूरी नहीं की?"
अर्जुन ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "हाँ, मेरी इच्छा पूरी हुई है। गाँव खुशहाल है, लोग खुश हैं, लेकिन मैंने अपनी माँ का प्यार खो दिया है। क्या कोई तरीका है जिससे मैं उसकी भावनाओं को वापस पा सकूं?"
मछली ने गंभीरता से कहा, "तुमने अपनी सबसे कीमती चीज़ छोड़ने का निर्णय किया था। यह तालाब किसी की भावनाओं को बदलने का अधिकार नहीं रखता। जीवन में हर जादू की कीमत चुकानी पड़ती है, और तुमने वह कीमत चुकाई है। अगर तुम इसे वापस पाना चाहते हो, तो तुम्हें एक और बलिदान करना होगा।"
अर्जुन ने धीरे-धीरे सिर हिलाया। वह जानता था कि एक और बलिदान का मतलब था कि उसे फिर से कुछ मूल्यवान छोड़ना होगा। मछली ने कहा, "अगर तुम अपनी माँ का प्यार वापस पाना चाहते हो, तो तुम्हें अपनी पहचान खोनी होगी। लोग तुम्हें पहचानना बंद कर देंगे। तुम्हारा गाँव तुम्हें भूल जाएगा, और तुम अजनबी बन जाओगे। सोच लो, क्या तुम इसके लिए तैयार हो?"
अंतिम परीक्षा
अर्जुन ने गहरी सांस ली और सोचा। अगर वह अपनी माँ का प्यार वापस पाता, तो क्या वह अपनी पहचान खोने के लिए तैयार था? उसके सामने एक कठिन निर्णय था। एक तरफ उसका गाँव था, जहाँ लोग उसे पहचानते थे, उसे आदर करते थे, और दूसरी तरफ उसकी माँ का प्यार था, जिसकी कमी उसे हमेशा महसूस होती थी।
कुछ समय तक अर्जुन चुप रहा। अंत में, उसने मछली की ओर देखा और कहा, "मैं अपनी माँ का प्यार वापस पाना चाहता हूँ। अगर मुझे अपनी पहचान खोनी पड़े, तो मैं इसके लिए तैयार हूँ।"
मछली ने धीरे से सिर हिलाया और बोली, "तो फिर तुम्हारी इच्छा पूरी होगी।" उसने पानी के अंदर अपनी पूंछ हिलाई, और तालाब की सतह पर एक बुलबुला उभरा। उस बुलबुले में अर्जुन ने देखा कि उसका गाँव, उसकी माँ, और बाकी सब कुछ धीरे-धीरे उससे दूर हो रहे हैं। उसके दिल में दर्द था, लेकिन उसके चेहरे पर संतोष भी था।
नई शुरुआत
अर्जुन ने तालाब से निकलने के बाद महसूस किया कि अब कुछ बदल चुका था। जब वह गाँव की ओर चला, तो उसे रास्ते में कोई नहीं पहचान पाया। लोग उसे अजनबी की तरह देख रहे थे। जब वह अपने घर पहुँचा, उसकी माँ ने उसे देखा, लेकिन वह उसे पहचान नहीं सकी। उसके दिल में अपने बेटे के लिए प्यार फिर से जाग गया था, लेकिन अब वह अर्जुन को पहचान नहीं पा रही थी।
अर्जुन को समझ में आ गया था कि उसने अपनी पहचान खो दी है, लेकिन उसने अपनी माँ का प्यार वापस पा लिया था। वह जानता था कि अब वह गाँव में सिर्फ एक अजनबी के रूप में रह जाएगा, लेकिन उसकी माँ का प्यार उसकी सबसे बड़ी दौलत थी।
वह गाँव में एक अजनबी की तरह जीवन बिताने लगा, लेकिन उसके दिल में संतोष था। उसने अपने गाँव के लिए बलिदान दिया था, और अब उसने अपनी माँ के प्यार के लिए भी बलिदान दिया था। उसकी कहानी गाँव में कोई नहीं जानता था, लेकिन उसने अपने जीवन के सबसे बड़े रहस्यों को सुलझा लिया था।
नए जीवन की शुरुआत
अर्जुन ने अब अपने जीवन को नए तरीके से अपनाना शुरू कर दिया था। गाँव के लोग उसे अजनबी की तरह देखते थे, लेकिन वह इस सच्चाई को स्वीकार कर चुका था। उसकी माँ का प्यार वापस आ चुका था, और यह उसके लिए सबसे बड़ी खुशी थी। वह अब अपनी माँ के साथ अधिक समय बिताता, उसकी देखभाल करता, और उसे हर रोज़ मुस्कुराते देखता। हालाँकि उसकी माँ उसे नहीं पहचानती थी, लेकिन अर्जुन के दिल में यह संतोष था कि वह उसके पास है, और उसका प्यार उसे मिल रहा है।
वह गाँव के दूसरे लोगों से दूर रहने लगा। पहले वह गाँव के सभी उत्सवों और समारोहों में हिस्सा लेता था, लेकिन अब वह चुपचाप अपने घर में रहता था। उसका पूरा ध्यान अपनी माँ पर था। समय के साथ, उसकी माँ की तबीयत बिगड़ने लगी। अर्जुन जानता था कि यह समय आ चुका है जब वह उसे हमेशा के लिए खो देगा, लेकिन इस बार वह किसी जादू की तलाश में नहीं था। उसने समझ लिया था कि जीवन के प्राकृतिक चक्र को कोई नहीं बदल सकता, चाहे कितना भी जादू या शक्ति क्यों न हो।
अंतिम विदाई
कुछ महीनों बाद, एक दिन अर्जुन की माँ बीमार पड़ गई। उसकी हालत बहुत नाज़ुक हो गई थी। अर्जुन ने अपनी माँ के पास बैठकर उसकी देखभाल की। उसकी आँखों में आँसू थे, लेकिन उसने खुद को मजबूत बनाए रखा। उसकी माँ के चेहरे पर शांति थी, और उसने अर्जुन की ओर देखा। उसकी आँखों में एक अजीब-सी चमक थी, मानो उसे सब कुछ समझ आ गया हो। शायद उसने महसूस किया था कि जो इंसान उसकी देखभाल कर रहा है, वही उसका खोया हुआ बेटा है।
अर्जुन की माँ ने उसकी ओर अपना हाथ बढ़ाया और कहा, “तुम... बहुत अच्छे हो। भगवान तुम्हारा भला करे।” और फिर धीरे-धीरे उसकी आँखें बंद हो गईं। अर्जुन ने उसकी अंतिम सांस को महसूस किया और अपने दिल में गहरा दर्द महसूस किया, लेकिन वह जानता था कि उसने अपनी माँ को सच्चे प्यार के साथ विदाई दी थी।
अर्जुन ने अपनी माँ का अंतिम संस्कार किया और उसे श्रद्धांजलि अर्पित की। उसने गाँव में किसी से कुछ नहीं कहा। उसकी पहचान खो चुकी थी, लेकिन उसने अपने दिल में अपनी माँ की स्मृति को हमेशा के लिए सहेज लिया था।
गाँव से विदा
अपनी माँ की मृत्यु के बाद, अर्जुन को लगा कि अब उसके गाँव में रहने का कोई कारण नहीं बचा है। लोग उसे नहीं पहचानते थे, और उसकी सबसे कीमती चीज़, उसकी माँ, अब इस दुनिया में नहीं थी। उसने फैसला किया कि अब उसे इस गाँव से विदा ले लेनी चाहिए।
एक सुबह, जब सूरज की पहली किरणें धरती पर पड़ रही थीं, अर्जुन ने अपने सामान को समेटा और गाँव छोड़ने का निश्चय किया। वह किसी को बिना बताए चुपचाप गाँव के बाहर निकल गया। उसे पता था कि अब वह यहाँ के लिए सिर्फ एक अजनबी है, और उसकी कहानी किसी के लिए मायने नहीं रखती।
जंगल के रास्ते से गुजरते हुए अर्जुन फिर से उसी जादुई तालाब के पास पहुँचा, जहाँ से उसकी यात्रा शुरू हुई थी। तालाब अब भी वैसा ही शांत और रहस्यमयी था। अर्जुन ने तालाब की ओर देखा और धीरे से मुस्कुराया। उसने तालाब के किनारे खड़े होकर कहा, “तुमने मुझे बहुत कुछ सिखाया है। मैंने यहाँ अपना सबसे बड़ा बलिदान दिया, लेकिन बदले में मैंने वह पाया, जो वास्तव में महत्वपूर्ण था—समर्पण और प्यार का महत्व।”
अर्जुन ने तालाब को अंतिम बार देखा और फिर अपने रास्ते पर आगे बढ़ गया। इस बार उसके दिल में न कोई पछतावा था और न ही कोई दर्द। वह जान चुका था कि जीवन का असली जादू उन संबंधों में है, जो हम अपने प्रियजनों के साथ बनाते हैं। उसने जीवन में जो कुछ भी खोया था, वह उसे वापस नहीं मिल सकता था, लेकिन उसने वह पा लिया था, जो किसी भी जादू से कहीं ज्यादा कीमती था—शांति और संतोष।
एक नया अध्याय
अर्जुन गाँव से दूर एक नए शहर की ओर बढ़ गया, जहाँ किसी को भी उसकी पहचान नहीं थी। उसने वहां एक नई ज़िंदगी की शुरुआत की। वह अब एक साधारण इंसान की तरह जीवन जीने लगा, लेकिन उसका हृदय अभी भी उन अनुभवों से भरा हुआ था, जो उसने जादुई तालाब के पास किए थे। उसने कभी किसी से अपने अतीत के बारे में बात नहीं की, न ही उसने किसी को अपने बलिदानों के बारे में बताया।
वह एक साधारण कारीगर बन गया, जो अपनी मेहनत से अपना जीवन यापन करता था। लोगों के बीच वह एक शांत और मददगार व्यक्ति के रूप में जाना जाने लगा, लेकिन किसी को यह पता नहीं था कि उसके भीतर एक ऐसी कहानी छिपी थी, जो कभी किसी को नहीं सुनाई गई थी। उसने अपने जीवन में अब कोई बड़ी महत्वाकांक्षा नहीं रखी। उसकी सारी इच्छाएँ पूरी हो चुकी थीं, और अब उसे केवल सुकून की तलाश थी।
जीवन का अंतिम सत्य
समय बीतता गया, और अर्जुन बूढ़ा हो गया। उसने अपनी जिंदगी में जो कुछ देखा और महसूस किया था, वह उसे अपने दिल में सहेज कर रखता था। उसके पास न कोई परिवार था और न ही कोई उसे जानने वाला। लेकिन उसे इस बात का संतोष था कि उसने अपने जीवन में जो निर्णय लिए थे, वे सही थे।
एक दिन, जब अर्जुन बहुत बूढ़ा हो चुका था, और उसकी जिंदगी का अंत निकट था, वह एक पहाड़ी की चोटी पर बैठा था। उसने आसमान की ओर देखा और सोचा कि आखिरकार उसका जीवन भी उसी सागर में विलीन होने वाला है, जहाँ हर किसी की कहानी समाप्त होती है। उसने अपनी आँखें बंद कीं और एक गहरी सांस ली।
उसने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण सबक को महसूस किया—कि हर इच्छा की कीमत होती है, और जीवन में सच्ची खुशी पाने के लिए त्याग करना पड़ता है। लेकिन उस त्याग में ही असली जादू छिपा है। अर्जुन ने अपनी आँखें धीरे-धीरे बंद कीं, और वह शांति से इस दुनिया को अलविदा कह गया।
कहानी का अंत
अर्जुन की कहानी वहीं समाप्त होती है, लेकिन जादुई तालाब की कहानी अब भी जारी है। उस तालाब का जादू अब भी बना हुआ है, और शायद कोई और साहसी व्यक्ति कभी वहाँ जाएगा, अपनी इच्छाओं को पूरा करने और अपने दिल की सबसे कीमती चीज़ को त्यागने के लिए। लेकिन अर्जुन की तरह, वह भी यह सीखेगा कि असली जादू न तो तालाब में है और न ही मछली में—असली जादू जीवन के उन संबंधों और अनुभवों में है, जो हमें सिखाते हैं कि सच्ची खुशी पाने के लिए हमें अपने भीतर झांकना पड़ता है।
जादुई तालाब अब भी वहीं है, शांत, रहस्यमयी, और प्रतीक्षा में—किसी और की कहानी का हिस्सा बनने के लिए।
Jadui Talab Moral Story
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